Episodes

  • भूमिका
    Oct 29 2024

    भूमिका

    “बाइबल सार” नामक इस पुस्तक की सम्पूर्ण विषय-वस्तुएँ पवित्रशास्त्र ‘बाइबल’ से ली गई हैं; अर्थात् यह अपने आप संक्षिप्‍‍त रूप में बाइबल ही है। इसे उन लोगों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जो बाइबल से अनजान हैं और इस में बाइबल के मुख्य सन्देश को उनके लिए सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है जो मसीही विश्‍वास की मुख्य बातों को अच्छी तरह जानने की इच्छा रखते हैं। बाइबल की विषय वस्तु यीशु पर तथा परमेश्‍वर के आने वाले साम्राज्य के रहस्य पर केन्द्रित है। इसी यीशु को मसीही लोग अभिषिक्‍त मसीह मानते हैं जिसके विषय में प्राचीन काल से ही भविष्यवाणियाँ की गई थीं। बाइबल के सन्देश को अच्छी तरह समझने के लिए, जैसा कि यीशु ने कहा, इसे एक बच्‍‍चे के समान विनम्र भाव से पढ़ना आवश्यक है। यदि कोई परमेश्‍वर के वचन को इस रूप में पढ़ेगा कि मानो वह छिपे हुए खज़ाने की खोज कर रहा हो, तो निश्‍चित है कि वह बाइबल के इस वचन को अपने जीवन में सत्य सिद्ध होता हुआ देखेगा कि—“तुम्हारे लिए आवश्यक नहीं कि कोई तुम्हें सिखाए।” जब आप इस पुस्तक को पढ़ चुके होंगे, तो हम चाहेंगे कि आप बाइबल की एक प्रति अवश्य मंगवा लें और उसे पढ़ें। “सम्पूर्ण पवित्रशास्‍त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखा गया है और शिक्षा देने में, समझाने में, सुधारने में और धार्मिकता के लिए अनुशासित करने में लाभदायक है।” 2 तीमु 3:16

    Show More Show Less
    2 mins
  • बाइबल
    Oct 29 2024
    बाइबल पवित्रशास्त्र ‘बाइबल’ के दो मुख्य भाग हैं जिन्हें “पुराना नियम” और “नया नियम” कहते हैं। इस नियम शब्द का अर्थ है—घोषणा या वचनबद्ध होना और कभी-कभी इसका अर्थ वसीयत भी होता है। यहाँ इस शब्द का अर्थ वचनबद्ध होने से है, यानि यह एक प्रतिज्ञा है जिसके द्वारा परमेश्‍वर ने मनुष्य जाति के साथ अपने आपको वचनबद्ध किया है। परमेश्‍वर द्वारा हमारे उद्धार के लिए की गई प्रतिज्ञा यीशु मसीह की क्रूस पर हुई मृत्यु पर आधारित है; नि:संदेह इसी प्रतिज्ञा के अनुसार परमेश्‍वर ने हमें यीशु के द्वारा बचा लिया है और हमें अपने स्वर्गीय राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया है। मसीह पर विश्‍वास रखने वालों को यह निश्‍चय है कि यीशु मसीह की क्रूस पर हुई मृत्यु के द्वारा समस्त मनुष्य जाति के पाप सदा के लिए मिटा दिए गए हैं—यीशु, परमेश्‍वर का पुत्र, जिसने इस धरती पर आज से लगभग दो हज़ार साल पहले जन्म लिया था, उसने अपने आपको उस दण्ड के लिए दे दिया जो पापी मनुष्य को मिलना था। इसका अर्थ यह है कि हमारे पापों को क्षमा किया जा सकता है, और यह कि हम परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास कर सकते हैं, अर्थात् उस अद्भुत समाचार पर कि हम उस अनन्त जीवन को प्राप्त कर सकते हैं जो परमेश्वर हमें प्रदान करता है। इस प्रतिज्ञा का शुभ-समाचार ही बाइबल संदेश का केंद्र बिन्दु है। यीशु के जन्म से पहले जो नियम लिखा गया है उसे “पुराना नियम” और यीशु के बाद लिखे गए नियम को “नया नियम” कहते हैं। “पुराना नियम” यहूदी राष्ट्र पर केन्द्रित है, जिसे ईस्वी पूर्व 1500 से 400 के बीच अलग-अलग लेखकों ने लिखा, और इसमें 39 पुस्तकें हैं जिनमें उनका इतिहास, क़ानून, भविष्यवाणियाँ, कविताएँ और भजन मिलते हैं। परमेश्‍वर के नए राज्य और यीशु मसीह के आगमन के सन्देश को कई भविष्यवाणियों में बार-बार दुहराया गया है। “नया नियम” इस सच्‍‍चाई को स्पष्‍‍ट करता है कि मसीह के बारे में भविष्यवाणियाँ यीशु में कैसे पूरी हुईं, और साथ ही वह उद्धार के बारे बताता है। “नए नियम” को ईस्वी सन् 30 से 90 के यीशु मसीह के शिष्यों ने लिखा। इसका आरम्भ उन चार पुस्तकों से होता है, जिन्हें सुसमाचार कहते हैं—इनमें यीशु मसीह के जीवन का लघु इतिहास है; “नए नियम” में मसीही विश्‍वासियों के नाम 21 पत्र आदि भी हैं, इस तरह इसमें कुल 27 पुस्तकें हैं। ...
    Show More Show Less
    3 mins
  • अध्याय – 1 आरम्भ में
    Oct 29 2024

    अध्याय – 1 आरम्भ में

    इस दुनिया की जटिलता और इसका जीवन हमें आश्‍चर्य में डाल देता है। इसका आरम्भ कैसे हुआ? मनुष्य की सृष्‍टि कैसे और क्यों हुई? किस तरह मानव-जाति ने अपने सृष्‍टिकर्त्ता परमेश्‍वर की बात नहीं मानी और उससे विद्रोह किया? और उसके पाप के कारण परमेश्‍वर की ओर से मृत्यु का भयानक श्राप कैसे उसके ऊपर आया? इन सब का उत्तर बाइबल में हमें मिलता है। साथ ही बाइबल हमें यह भी बताती है कि हमारे पाप के कारण, जन्म से ही हमारे ऊपर मृत्यु की छाया मण्डराने लगती है और इसी के साथ हम जीते हैं। हमारे पास न तो कोई आशा है, न हमेशा तक रहनेवाला सच्‍‍चा आनन्द है और न ही सच्‍‍ची शान्ति, बस मृत्यु ही हमारी प्रतीक्षा कर रही है। चाहे हम निर्धन हों या धनवान, निर्बल हों या बलवान, बन्दी हों या स्वतन्त्र, रोगी हों या स्वस्थ, एक दिन तो हम सभी को मरना ही है और वह भी शीघ्र, और फिर, बाइबल बताती है कि हमें अपने सृष्‍टिकर्त्ता के सामने खड़े होकर बताना पड़ेगा कि आखिर क्यों हमने उसकी और उसके पवित्र नियमों की अनदेखी की। जी हाँ, परमेश्‍वर हमारे नहीं बल्कि अपने नियमों के अनुसार हमारा न्याय करेगा। न तो किसी धर्म ने, न ही किसी दर्शन ने, और न ही दुनिया के इतिहास में किसी व्यक्‍ति ने, इस भयानक श्राप से बचने का रास्ता दिखाया। रास्ता किसी ने दिखाया... तो वह है—बाइबल।

    Show More Show Less
    14 mins
  • अध्याय – 2 पृथ्वी का विनाश
    Oct 29 2024

    अध्याय – 2 पृथ्वी का विनाश

    जब मनुष्य की दुष्‍‍टता और पाप इतने बढ़ गए कि परमेश्‍वर के लिए उन्हें देखना असहनीय हो गया, तो उसने सारे प्राणियों को नष्‍‍ट करने का निर्णय लिया। आज भी हम सारी दुनिया में ऊँचे-ऊँचे पर्वतों और गहरी खाइयों की चट्टानों में उनके अवशेष और जीवाश्म देख सकते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि उन्हें परमेश्‍वर के भयंकर न्याय के द्वारा नष्‍‍ट कर दिया गया था। परमेश्‍वर ने प्रतिज्ञा की कि जब वह अगला न्याय करेगा तो आग से सबको नष्‍‍ट करेगा। नए नियम में हम 2 पतरस 3:10 में पढ़ते हैं: “परमेश्‍वर का दिन चोर के समान आएगा, उस दिन आकाश बड़ी गर्जन के साथ मिट जाएगा, सारे तत्व बहुत ही गर्म हो कर पिघल जाएंगे और पृथ्वी और उस पर किए गए सारे काम जल जाएंगे।”

    Show More Show Less
    12 mins
  • अध्याय – 3 एक नई प्रतिज्ञा
    Oct 29 2024

    अध्याय – 3 एक नई प्रतिज्ञा

    जलप्रलय के बाद नूह कई वर्षों तक जीवित रहा। धीरे धीरे पृथ्वी फिर मनुष्यों से भर गई, परन्तु जैसे जैसे वे संख्या में बढ़ते गए, वे एक बार फिर पापी और परमेश्‍वर के विद्रोही बन गए। परमेश्‍वर के बदले आराधना करने के लिए वे मूर्त्तियाँ बनाने लगे और इस तरह कुछ सौ वर्षों बाद ही, दुनिया फिर अन्धकार की गहराई में समा गई और पूरी तरह पाप से भर गई। तब परमेश्‍वर ने भविष्यवक्‍ताओं के द्वारा फिर से चेतावनी देनी आरम्भ की, कि वह पापी मनुष्यों को दुबारा दण्ड देगा। भविष्यवक्‍ताओं ने परमेश्‍वर से सन्देश पाकर लोगों को पापों से पश्‍चात्ताप करने के लिए कहा, लेकिन लोगों ने उनसे घृणा की, उन्हें सताया और कइयों की तो हत्या भी कर दी। परन्तु परमेश्‍वर जो मनुष्यों से प्रेम करता है, पीढ़ी-दर-पीढ़ी दुनिया में लगातार इन भविष्यवक्‍ताओं को भेजता रहा।

    Show More Show Less
    16 mins
  • अध्याय – 4 मसीह के लिए भविष्यवाणी
    Oct 29 2024

    अध्याय – 4 मसीह के लिए भविष्यवाणी

    परमेश्‍वर ने भविष्यवक्‍ताओं के द्वारा हमसे प्रतिज्ञा की थी कि एक दिन आ रहा है जब वह धार्मिकता का राज्य स्थापित करेगा जिस पर वह स्वयं शासन करेगा। उसने यह भी प्रतिज्ञा की थी कि एक दिन वह मनुष्यों को बुराई से शुद्ध करेगा और पाप से उनका उद्धार करेगा। इतना ही नहीं, भविष्यवक्‍ताओं ने यह भी बात प्रकट की कि परमेश्‍वर इस संसार में एक व्यक्‍ति को भेजेगा, जो लोगों को उनके पापों से छुड़ानेवाला उद्धारकर्ता होगा और फिर बाद में वह एक राजा और न्यायाधीश बनकर आएगा। उन्होंने इस आनेवाले उद्धारकर्त्ता—राजा—न्यायाधीश को जो नाम दिया, वह था “मसीह”। और “मसीह” अर्थात् “यीशु मसीह” या “ख्रीष्‍‍ट यीशु” से सम्बन्धित भविष्यवाणियाँ, उस के जन्म से बहुत पहले ही कर दी गई थीं।

    Show More Show Less
    20 mins
  • अध्याय – 5 उद्धारकर्त्ता, यीशु
    Oct 29 2024

    अध्याय – 5 उद्धारकर्त्ता, यीशु

    बाइबल का यह सन्देश बहुत ही आश्‍चर्यजनक है कि संसार का सृष्‍टिकर्त्ता मनुष्य बना, हमारे जैसा मनुष्य, क्योंकि वह हमसे प्रेम करता था और हमें हमारे पाप के भयंकर परिणाम से बचाना चाहता था। वह महिमावान राजा, सामर्थी सृष्‍टिकर्त्ता, पवित्र परमेश्‍वर स्वयं ही इस दुख भरे दुष्‍‍ट संसार में आया और मानव प्रतिनिधि होकर हमारे पापों के लिए बलिदान बना। वह इसलिए आया कि मनुष्यजाति के लिए मरने के द्वारा संसार के पापों को मिटा दे। उसके हाथों में कीलें ठोंकी गईं जिन्हें मनुष्यों ने ही ठोंका था, उसके चेहरे पर थूका गया और उसका ख़ून बहाया गया... उसने सारी मनुष्यजाति के पापों का सारा दण्ड अपने ऊपर ले लिया।

    Show More Show Less
    35 mins
  • अध्याय – 6 अद्भुत वचन और सामर्थी कार्य
    Oct 29 2024

    अध्याय – 6 अद्भुत वचन और सामर्थी कार्य

    आज के दिन भी यीशु के कहे गए शब्दों से लोगों के दिल छिद जाते हैं, क्योंकि उनमें धार्मिकता, सच्‍‍चाई, नम्रता और शुद्धता है। लेकिन यीशु ने सिर्फ़ सुन्दर-सुन्दर शब्द ही नहीं बोले, उसने अपने चेलों से यह नहीं कहा, “मेरी शिक्षाओं पर चलो,” उसने कहा, “मेरे पीछे चलो!” इसी तरह, यीशु के विश्‍वासियों को भी अपने जीवन के द्वारा आदर्श दिखाना है, धार्मिकता, सच्‍‍चाई, नम्रता, प्रेम और शुद्धता को दर्शाना चाहिए, उन्हें पैसे और सम्पत्ति का लालच नहीं होना चाहिए, लोगों से प्रशंसा और आदर पाने की भूख नहीं होनी चाहिए, और शक्ति या अधिकार से दूसरों पर हुकूमत करने की चाहत नहीं होनी चाहिए। हमारा आदर्श यीशु है।

    Show More Show Less
    28 mins