Shan
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एक लड़का था, पढ़ने में तेज़ पर खेलकूद में फिसड्डी। क्रिकेट के मैदान में न बैटिंग मिलती न बॉलिंग। हर खेल में बस ‘एक्सट्रा’ बना रहता। सच पूछिए तो उस लड़के के लिए स्कूल के बाद, शाम काटना मुश्किल हो जाता था। फिर धीरे-धीरे पालतू कुत्तों, बिल्लियों, मुर्गियों, फूल-पत्तों और पेड़-पौधों से दोस्ती हो गई। ये उसे हर शाम नज़्म सुनाते, जिसे वह लड़का अपनी छोटी-सी डायरी में लिख लिया करता। जब एक डायरी भर जाती तो दूसरी खोल लेता। जब कॉलेज के लिए घर छोड़ा, तो लड़का बड़ा हो गया था। पालतू जानवर और पेड़-पौधे पीछे छूट गए। एक बड़े शहर में लड़के ने पढ़ाई पूरी की और शहर में एक काम पकड़ लिया। लिखने की आदत लगी थी, तो नज़्म लिखते-लिखते कहानियाँ भी लिखता चला गया। इस लड़के का नाम शान है, इसी ने 'कॉरपोरेट कबूतर' नाम से यह किताब लिखी है। शान, झारखंड के राँची से संबंध रखता है, जहाँ इसकी स्कूलिंग हुई। आगे की पढ़ाई NIFT Delhi और IIT Delhi से हुई तो दिल्ली से नाता बन गया। आजकल मुम्बई में एक कंपनी में रोज़गार से जुड़ा हुआ है।
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