हम सफर क्यों करते हैं? जब हम अपने घर या शहर में रहते हैं, तो एक ही नज़रिये से दुनिया को देखने की आदत पड़ जाती है। सफर हमें मौका देता है कि हम अपने पुराने चश्मे उतारकर, दुनिया को एक नए नज़रिये से देखने की कोशिश करें। सफर का मतलब ही यह होता है कि हम अपनी आम ज़िन्दगी की उलझनों को थोड़ी देर के लिए भूलकर कुछ नया ढूंढने निकलें। अक्सर हमें यह पता नहीं होता कि सफर में क्या मिलेगा, इसलिए अपनी आंखें और मन खुले रखने पड़ते हैं। जो ऐसा कर पाता है, उसे कुछ कीमती यादें और कभी-कभी नए विचारों के बेशकीमती मोती भी मिल सकते हैं। आशा है कि इस सफरनामे में हम जो ख्याल साझा रहे हैं, उनमें से आपको भी कुछ काम की बातें मिलें। We discuss:* Saurabh’s travel to Memphis* Upcoming change in Manufacturing* Sharjah Book Fair* Pranay’s book ‘When Chips Are Down’ translated into Arabic* Vietnam’s female labour force* Archeological Survey of India collaborating in VietnamAlso, please note that Puliyabaazi is now available on Youtube with video. If you like the work we do, please share it with your friends and family. Related Puliyabaazi:सफ़रनामा: अमरीका से थाईलैंड से केन्या तक। Travelogue from US, Thailand, Kenyaअमरीकी मैन्युफैक्चरिंग जगत का सफ़रनामा। US Travelogue - Trade Exhibitions, Saving Art, and Unisex ToiletsIf you have any questions for the guest or feedback for us, please comment here or write to us at puliyabaazi@gmail.com. If you like our work, please subscribe and share this Puliyabaazi with your friends, family and colleagues.Website: https://puliyabaazi.inHosts: @saurabhchandra @pranaykotas @thescribblebeeTwitter: @puliyabaazi Instagram: https://www.instagram.com/puliyabaazi/Subscribe & listen to the podcast on iTunes, Google Podcasts, Castbox, AudioBoom, YouTube, Spotify or any other podcast app. This is a public episode. If you would like to discuss this with other subscribers or get access to bonus episodes, visit www.puliyabaazi.in