दक्ष प्रजापति का पुनर्जन्म महाराज पृथु के बाद उनके पुत्र विजिताश्व राजा हुए, उनके पुत्र हविर्धान के पुत्र थे बर्हिषद। बर्हिषद का विवाह समुद्र की कन्या शतद्रुति से हुआ, जिनसे उनको दस पुत्र प्राप्त हुए। इन दस पुत्रों को प्रचेता कहते हैं। इन प्रचेताओं ने कई वर्षों तक महादेव और नारायण की तपस्या की। नारायण की आज्ञा से इन्होंने कण्डु ऋषि और अप्सरा प्रमलोचा की पुत्री मारिषा, जिसका पालन पोषण वृक्षों और चन्द्र ने किया था, से विवाह किया। मारिषा के गर्भ से ब्रह्मा जी के पुत्र दक्ष प्रजापति ने महादेव की अवज्ञा के कारण अपना पूर्व शरीर त्यागकर पुनर्जन्म लिया। अपने कार्य में कुशल होने के कारण इनका भी नाम दक्ष पड़ा और चाक्षुष मन्वन्तर में इन्होंने पुनः नई प्रजा उत्पन्न की। Rebirth of Daksha Prajapati After Maharaj Prithu, his son Vijitashwa विजिताश्व became the king. His son was Havirdhan हविर्धान and grandson Bahirshad. बर्हिषद Bahirshad was married to the daughter of the ocean Shatdruti शतद्रुति. They had ten sons, who were collectively called Prachetas प्रचेता. The Prachetas worshipped Mahadev and Bhagwaan Vishnu for many years. With Narayana’s blessings they married Kandu Rishi and Apsara Pramalocha’s daughter Marisha मारिषा, who was raised by trees and Chandra. Marisha gave birth to Daksh. Brahmadev’s son Daksh Prajapati had to get rid of his old body because of being disrespectful towards Mahadev and was reborn as Marisha’s son. He also became Prajapati in Chakshusha Manvantara चाक्षुष मन्वन्तर Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices