जब मेघनाद से युद्ध के समय लक्ष्मण भी मूर्छित हो गए तब सुषेण वैद्य ने उनके उपचार के लिए संजीवनी बूटी लाने का सुझाव दिया। द्रोण पर्वत से संजीवनी बूटी लाने का कार्य हनुमान जी को दिया गया, क्योंकि उनकी असीमित गति के कारण एक वही इस कार्य को समय पर करने में समर्थ थे। जब हनुमान जी द्रोणगिरि पर पहुँचे तो आसुरी माया के कारण संजीवनी बूटी को पहचान नहीं सके और इसलिए पूरा द्रोण पर्वत ही अपने साथ लेकर उड़ चले। रास्ते में जब भरत जी ने अयोध्या के ऊपर से हनुमान जी को द्रोण पर्वत ले जाते हुए देखा तो उनको कोई दैत्य समझकर भगवान राम का नाम लेकर बाण चला दिया। श्रीराम के नाम का आदर करते हुए बजरंगबली ले उस बाण को नहीं रोका और आहत होकर नीचे गिर गए। तब हनुमानजी ने भारत जी को लंका में हो रहे युद्ध से लेकर लक्ष्मण की मूर्छा तक की सारी बात बताई। भरत जी को अपने किए पर पश्चाताप हुआ और उन्होंने अपने तीर पर सवार होकर हनुमान जी को शीघ्र लंका पहुँचाने का सुझाव दिया। Hanuman ji Vs Bharat ji When Lakshman ji was lying unconscious on the battlefield after a duel with Meghnad, Sushena Vaidya was called to treat him. The healer of the monkey clan needed Sanjivani herb from Dronagiri mountain to revive Lakshman ji. Because of his speed, Hanuman ji was given the task tohe retrieve the lifesaving herb. When Hanuman ji reached the mountain, he could not identify the herb, so without losing much time, he decided to carry the entire mountain with him. When Hanuman ji was flying in the sky carrying the entire Dronagiri mountain, he was spotted by Bharat ji, who was the caretaker of Ayodhya in the absence of Shriram. Bharat ji mistook Hanuman ji for some demon who was trying to attack Ayodhya, so he shot an arrow at him. Since the arrow was shot with the name of Shriram, hanumanjihe did not counter it and got hurt. When Hanuman ji fell on the ground, he narrated the entire incident to Bharat ji about the battle going on at Lanka and Lakshman’s coma. Bharat ji regretted his action and offered his help in sending Hanuman ji to Lanka faster. Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices