धान की खेती के लिए नर्सरी प्रबंधन और रोपाई कैसे करें? भारत में धान की खेती मुख्यतः रोपाई के जरिए ही की जाती है। हालांकि, जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है वहां डीएसआर पद्धति से धान की खेती की जा रही है। रोपाई के जरिये धान की खेती के लिए बीज एवं नर्सरी प्रबंधन एक प्रमुख कार्य है। सबसे पहले नर्सरी में धान की पौध तैयार की जाती है। जिसके बाद पौध रोपण का कार्य किया जाता है। पौधे के अच्छे विकास के लिए कई चरणों से गुजरना पड़ता है। तो आइए जानते हैं धान की खेती के लिए नर्सरी प्रबंधन तथा पौध रोपण कैसें करें- सही बीज का चुनाव करें धान की खेती के लिए सही बीज का चुनाव करना बेहद आवश्यक है। इसके लिए अधिक उत्पादन देने वाली प्रतिरोधक किस्मों का चुनाव करना चाहिए। बीज के बेहतर अंकुरण के लिए सर्टिफाइड बीज लेना चाहिए। अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित किस्मों का चुनाव करना चाहिए।बीज साफ सुथरा होने के साथ नमी मुक्त होना चाहिए।बीज पुर्णता पका हुआ होना चाहिए जिसमें बेहतर अंकुरण क्षमता हो।बीज को अनुशंसित फूफंदनाशक, कीटनाशक से उपचारित करने के बाद बोना चाहिए।बेहतर तरीके से भंडारित बीज का ही चुनाव करें। धान की खेती के लिए बीज की मात्रा- हाइब्रिड किस्में- 25-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बासमती किस्में- 12-15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर एसआरआई पद्धति- 7.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर सीधी बुवाई या डीएसआर पद्धति-40-50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर धान की खेती के लिए बीजोपचार- सबसे पहले 10 लीटर पानी में नमक डालकर अच्छी तरह घोल बना लें। इसके बाद इसमें 500 ग्राम बीज डालें। पानी की सतह पर तैरने वाले बीज को छलनी की मदद से अलग कर दें। अब बीजों को उपचारित करें। रासायनिक तरीके से बीजोपचार- धान में फफूंदजनित रोग जैसे ब्लास्ट, ब्राउन स्पाॅट, रूटरोट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट आदि का प्रकोप रहता है। इन रोगों से रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम 50 ए.सी. की 2 ग्राम मात्रा तथा स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 0.5 ग्राम मात्रा लेकर एक लीटर पानी में अच्छी तरह घोल बना लें। इस घोल में बीजों को 24 घंटे के लिए भिगोकर रखें। जैविक बीजोपचार स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की 10 ग्राम मात्रा लेकर एक लीटर पानी में घोल बना लें। इस घोल में प्रति किलोग्राम बीज की मात्रा लेकर रातभर भिगोने दें। धान की खेती के ...