मरकुस 4:30-5:20, निर्गमन 25:1-26:37, भजन संहिता 23:1-6, वेल्श पर्वतीय क्षेत्र में ऊँचाई पर, दो सेवक एक जवान चरवाहे से मिले जिसे सुनाई कम देता था और जो अशिक्षित था। उन्होंने समझाया कि यीशु *उसके चरवाहा* बनना चाहते हैं, जो कि हमेशा उसका खयाल रखेंगे जैसे कि वह अपनी भेड़ों का रखता है। उन्होंने उसे उसके दाहिनी हाथ की उंगलियों और अंगूठे का उपयोग करके इन शब्दों को याद करना सिखाया, *प्रभु मेरा चरवाहा है’* (भजन संहिता 23:1), जो कि उसके अंगूठे से शुरू होता है फिर हर एक उंगली पर एक - एक शब्द। उन्होंने उसे चौथे शब्द ‘मेरे’ पर रूककर यह याद रखना सिखाया कि ‘यह भजन संहिता मेरे लिए है’। कुछ वर्षों के बाद उनमें से एक सेवक उस गाँव से गुज़र रहा था जहाँ पर वह चरवाहा लड़का रहता था। पिछली सर्दी में भयंकर तूफान आया था और वह लड़का पहाड़ी पर मर गया और बर्फ के नीचे दफन हो गया। गाँव वाला जो यह कहानी बता रहा था, उसने कहा, ‘एक अजीब बात हुई’ जिसे हम नहीं समझ पाए। जब उस लड़के के शरीर का पता चला तो वह *अपने दाहिने हाथ की चौथी उंगली पकड़े हुए था’*। यह कहानी हम सभी के लिए परमेश्वर के व्यक्तिगत प्रेम को बयान करती है। आजकल कई लोग परमेश्वर के बारे में सोचते हैं कि (वे लोग सोचते हैं क्या परमेश्वर सच में हैं) वह कोई महान व्यक्तित्वहीन शक्ति है। मगर, बाइबल के परमेश्वर बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। उनका हमारे साथ संबंध बहुत व्यक्तिगत है। संत पौलुस लिखते हैं, ‘जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया’ (गलातियों 2:20) वह *‘मेरे परमेश्वर है’* (फिलिप्पीयों 4:19)। परमेश्वर मुझ से प्रेम करते हैं।