हैलो दोस्तों , कैसे है आप सब ? बढ़िया ! अरे बढ़िया क्यों नहीं होंगे मेरे साथ गुफ्तुगू करके तो आपका सारा स्ट्रेस किसी कोने में दुबक कर बैठ जाएगा। और कहते है न की अगर हम दिमागी तौर पर खुश है तो हम हर परिस्तिथि से आसानी से निकल जाते है। तभी तो आपका और मेरा कनेक्शन इस बात का पुख्ता सबूत है की हम दो और दो चार नहीं ग्यारह है। आज की भागदौड़ की जिंदगी में हर कोई सुकून के पल ढूढ़ता है। किसी ऐसे कंधे की तलाश करता है जो उसको सुन सके उससे बातें कर सके। इसलिए मै सिद्धार्थ नय्यर आपके साथ कुछ पलों को बाँटने ,आपकी कुछ सुनने और सुनाने आया हु। हम आपके साथ ऐसे लोगो की कहानियाँ ,किस्से ,बातें शेयर करेंगे जब जिंदगी में उन्होंने खुद को सबसे ज्यादा अकेला महसूस किया और फिर किस्मत कहिये या मिरकल उन्हें मिल ही गया एक दोस्त, एक कन्धा जिसने ने केवल उनके अकेलेपन को न केवल दूर किया बल्कि जिंदगी जीने की दिशा बदल दी। हमारे साथ भी तो कई बार ऐसा होता है की कभी पढाई का प्रेशर तो कभी नौकरी की चिंता और कभी सपनों के उधेड़बुन में खुद को खोता हुआ पाना पर आपसे यही कहूँगी की जैसे हर रात के बाद सवेरा होता है तो हर प्रॉब्लम में कही न कही सलूशन छिपा होता है बस जरूरत है आपके थोड़े से साहस की जो आपमें में ही है । आज हम आपको एक ऐसे व्यक्तित्व की कहानी के बारें में बताएँगे जिसके आगे गरीबी ने भी अपने घुटने तक दिए। जी हां ,हम बात कर रहे है सुपर 30 के फाउंडर आनंद कुमार की। जिसने ऐसे बहुत से बच्चों के सपनों को पूरा किया जिनके पास खाने तक के पैसे नहीं है। घर नहीं था। था तो सिर्फ सपना। इस समाज में अपने सपने को पूरा करना।अगर आनद कुमार को गरीबो का मसीहा भी कहा जाए तो दोराहे नहीं होगी।हम आपको आनंद कुमार की सफलता की कहानी इसलिए शेयर कर रहे है क्योकि मै आपको यह बताना चाहता हूँ कि परिस्थितियाँ आपके सामने कैसी भी आए ।आपके हौसले से कम नहीं है। आनंद कुमार ने न केवल' अपनी गरीब परिस्थिति को दरकिनार किया बल्कि न जाने कितने बच्चों को जिंदगी को सवांरा है।दोस्तों परेशानियाँ हमारी जिंदगी में भी आ सकती है और हमारे आस पास के लोगो की जिंदगी में भी।अपनी प्रॉब्लम्स का तो सभी सोलूशन करते है पर आपके व्यक्तित्व की पहचान तो इसमें है की आप दूसरो की जिंदगी को कैसे बेहतर बनाते है। तो हम आते आनंद ...