अपने दोनों पुत्रों हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप के मरने के बाद देवी दिति शोकाकुल हो गयीं और इन्द्र से बदला लेने के लिए उन्होंने अपने पति कश्यप ऋषि को प्रसन्न कर ऐसे पुत्र की कामना की जो इन्द्र का वध कर सके। दिति का अभिप्राय जानकर इन्द्र वेश बदलकर उनके साथ रहकर उनकी सेवा करने लगे। एक दिन मौका देखकर इन्द्र देवी दिति के गर्भ में प्रवेश कर गए और उनके गर्भ को अपने वज्र से सात टुकड़ों में काट दिया। इन्द्र के प्रहार से वो रोने लगे तो “मा रुद्, मा रुद्” बोलते हुए इन्द्र ने उन सात टुकड़ों को और सात-सात टुकड़ों में काट दिया। भगवान की कृपा से देवी दिति का गर्भ नष्ट नहीं हुआ अपितु उनको उनचास पुत्र पैदा हुए। देवी दिति ने जब अपने उनचास पुत्र देखे और उनको इन्द्र के साथ पाया तो इन्द्र से सब सच बताने को कहा। इन्द्र ने सब सच बता दिया और कहा की भगवान विष्णु की कृपा से मेरे प्रयासों के बाद भी आपका गर्भ नष्ट नहीं हुआ। ये सब अब देवता हैं और मेरे साथ स्वर्ग में विराजेंगे। देवी दिति ने इन्द्र से शत्रुता भूलकर उनको और अपने पुत्रों को आशीर्वाद देकर स्वर्गलोक भेज दिया। Birth of Maruds After both her sons Hiranyaksha and Hiranyakashipu were killed, devi Diti was overtaken by grief. In order to avenge the death of her sons, she tried to please her husband Kashyap rishi, in order to get a son who would kill Indra. Indra disguised himself and started living with devi Diti and served her. One day Indra shrunk in size and entered Diti’s womb. He cut the baby growing inside her into 7 pieces. It didn’t kill the baby, in fact there were now 7 babies who started crying. So Indra kept saying, “Ma Rud.. Ma Rud.” and cut them into 7 pieces each. Because of Narayana’s blessings Diti gave birth to 49 babies. When she saw 49 babies and Indra with them she enquired Indra about this. Indra told her everything honestly and said, these 49 Maruds are gods, and are his brothers, and Gods and would live with him in heaven. Devi Diti forgave Indra and blessed him and her 49 sons. Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices